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4/1/20

Part 1 : ये लोग जो चिंटीयो जैसे दिख रहे है..

Day 5 Lockdown : many times, people ask me why I write. Answer is always same, I write because I suffer, I feel pain and so I write..not to die of pain. Writing is like breathing for me.
This time also, pain of our fellow countrymen gave rise to this poem.
Thanks to Praphull Thakur for giving valuable contribution of last lines which made poem complete.
Thanks to डॉ.सुनील अभिमान अवचार Dr. Sunil Abhiman Awachar for allowing me to use heart breaking sketches by him for this video.

ये लोग 
जो चिंटीयो जैसे दिख रहे है
सुपर पॉवर इंडिया नाम के 
एक महान देश के नक़्शे पर.
इनको मिटा देना चाहिये फेसबुक के पन्नो से
क्यूंकि शरीर के भद्दे हिस्से को नहीं जाहिर किया जाता इस तरह से ..!
एक महान लोकतंत्र में 
उनकी जगह है किसी पुलिया की निचे,
दूर किसी गन्दी बस्तीयों में, इमारतों के पिछवाड़े में
या बजबजाती नालियों के किनारे 
जहा दिन की रोशनी , प्रिविलेज लोगो की सोच और 
सरकार की पोलिसी नहीं पंहुचा करती.  
मजाल कैसे हुयी इन लोगो की
ऐसे यकायक ये उठे फूट पाथो से, गन्दी बस्तियों से ,
नालियों के किनारो से 
और चल दिए किसी की इजाजत लिए बगैर ?
हिम्मत कैसे हुई इनकी
अपनी ज़िंदगी का फैसला खुद करने की ?
वो हक़ तो हमने दिया है राजनेताओं को, अफसरों को 
या फैक्ट्री के मालिकों को
लेकिन ये किसी से डरे बिना
गांव जाकर 
घर में पानी पीने की लालसा लिए हुए
भूखे पेट, सैकड़ो-हजारों किलोमीटर का हिसाब किए बगैर 
चल पड़े पैदल
इनके  कदमों की चाल ने
हिला दिया एक महान लोकतंत्र को,
दहल गया इंसानियत का मन,  
इनकी  आंसुओं से भीग गए सोशल मिडिया के पन्ने
मैं आभारी हूं, उन तमाम फोटोग्राफर्स और रिपोर्टर्स की 
जिन्होंने छत के नीचे सोए हुए सुरक्षित लोगों को दिखाया
'अर्बन पुअर' कहलाने वाले इन चींटियों जैसे लोगों का अस्तित्व 
और ये कड़वा सच की 
ये लोग भी हिस्सा हैं
आज़ाद भारत का
जितना रोटी पर हमारा हक है
उतना ही, उनका भी है
उन्हें ना तो 
हक मिल रहा, न रोटी
शायद जल्द ही वे अपने घर ज़िंदा पहुंच जाएं
शायद जल्द ही उन्हें भारत के नक़्शे में मिल जाये
 'अपना' स्थान
लेकिन, अगर न पहुंच पाएं वो अपने घर
और रास्ते में ही तोड़ दिए दम
तो फिर हमें भी महान लोकतंत्र का दंभ भरना छोड़ देना चाहिए ।।
Ayshwarya
name of youtube channel - Ayshwarya Revadkar 
visit for audio video of this poem
https://youtu.be/u700kFUiGdU

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